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DASARA FESRIVAL |
दशहरा के मोके पर कई जगहों पर रावण वध का आयोजन किया जाता
है, नो दिनों से चलनेवाली रामलीला का यह समापन दिन होता है, जब भगवान् राम रावण के
पुतले का धनुष से संहार करते है, इस मोके पर कई जगहों पर इसका आयोजन किया जाता है,
विजयदसमी के दिन भगवान श्रीराम अपने भाई और पत्नी के साथ अयोधिया लोटे थे,
क्यों मनाया जाता है दशहरा // दशहरा मानाने के कारण
भगवान
राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय
के रूप में मनाया जाता है। इसीलिए इस दशमी को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है।
दशहरा वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है, अन्य दो हैं चैत्र शुक्ल की एवं
कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करते हैं, शस्त्र-पूजा की जाती है।
प्राचीन
काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे।
दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और
चोरी जैसे अवगुणों को छोड़ने की प्रेरणा हमें देता है।
दशहरा या
दसेरा शब्द 'दश'(दस) एवं 'अहन्' से बना है। दशहरा उत्सव की उत्पत्ति
के विषय में कई कल्पनाएं की गई हैं। कुछ लोगों का मत है कि यह कृषि का उत्सव है।
दशहरे का सांस्कृतिक पहलू भी है। भारत कृषि प्रधान देश है।
जब किसान
अपने खेत में सुनहरी फसल उगाकर अनाज रूपी संपत्ति घर लाता है तो उसके उल्लास और
उमंग का ठिकाना हमें नहीं रहता। इस प्रसन्नता के अवसर पर वह भगवान की कृपा को
मानता है और उसे प्रकट करने के लिए वह उसका पूजन करता है। तो कुछ लोगों के मत के
अनुसार यह रणयात्रा का द्योतक है, क्योंकि
दशहरा के समय वर्षा समाप्त हो जाते हैं, नदियों
की बाढ़ थम जाती है, धान आदि
सहेज कर में रखे जाने वाले हो जाते हैं।
इस उत्सव
का सम्बन्ध नवरात्रि से भी है क्योंकि नवरात्रि के उपरांत ही यह उत्सव होता है और
इसमें महिषासुर के विरोध में देवी के साहसपूर्ण कार्यों का भी उल्लेख मिलता है।
दशहरा या
विजया दशमी नवरात्रि के बाद दसवें दिन मनाया जाता है। इस दिन राम ने रावण का वध
किया था। रावण भगवान राम की पत्नी देवी सीता का अपहरण कर लंका ले गया था। भगवान
राम युद्ध की देवी मां दुर्गा के भक्त थे, उन्होंने
युद्ध के दौरान पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की और दसवें दिन दुष्ट रावण
का वध किया। इसलिए विजयादशमी एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। राम की विजय के प्रतीक
स्वरूप इस पर्व को 'विजयादशमी' कहा जाता है।
दशहरा
पर्व को मनाने के लिए जगह-जगह बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। यहां लोग अपने
परिवार, दोस्तों के साथ आते हैं और खुले आसमान
के नीचे मेले का पूरा आनंद लेते हैं। मेले में तरह-तरह की वस्तुएं, चूड़ियों से लेकर खिलौने और कपड़े
बेचे जाते हैं। इसके साथ ही मेले में व्यंजनों की भी भरमार रहती है।
इस समय
रामलीला का भी आयोजन होता है। रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। दशहरा
अथवा विजयदशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप
में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा, शस्त्र पूजन, हर्ष, उल्लास तथा विजय का पर्व है। रामलीला में जगह-जगह रावण वध का
प्रदर्शन होता है।
दशहरा के दिन होती है शस्त्र की पूजा
इस दिन
क्षत्रियों के यहां शस्त्र की पूजा होती है। इस दिन रावण, उसके भाई कुम्भकर्ण और पुत्र मेघनाद
के पुतले जलाए जाते हैं। कलाकार राम, सीता और
लक्ष्मण के रूप धारण करते हैं और आग के तीर से इन पुतलों को मारते हैं जो पटाखों
से भरे होते हैं। पुतले में आग लगते ही वह धू-धू कर जलने लगता है और इनमें लगे
पटाखे फटने लगते हैं और उससे उसका अंत हो जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की
विजय का प्रतीक है।
शक्ति की
उपासना का पर्व शारदेय नवरात्रि प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ
सनातन काल से मनाया जा रहा है। इस मौके पर लोग नवरात्रि के नौ दिन जगदम्बा के
अलग-अलग रूपों की उपासना करके शक्तिशाली बने रहने की कामना करते हैं। भारतीय
संस्कृति सदा से ही वीरता व शौर्य की समर्थक रही है। दशहरे का उत्सव भी शक्ति के
प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाला उत्सव है।
विजयादशमी कब है?
विजयादशमी यानी दशहरा 19 अक्टूबर को मनाया
जाएगा। लेकिन दशमी तिथि की शुरूआत 18 अक्टूबर को 3 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर
19 अक्टूबर 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। लिहाजा इस शुभ अवधि में पूजा-पाठ काफी फलदायी होती है।
इस दिन क्या करना होता है अत्यंत शुभ?
1. दशहरे के दिन नीलकंठ भगवान के दर्शन करना अति
शुभ माना जाता है।
2. वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, सोना, आभूषण नए वस्त्र
इत्यादि खरीदना शुभ होता है।
3. सुबह में शमी के पेड़ की पूजा करना अत्यंत शुभ
माना जाता है।
4. दशहरा के दिन नए कार्य की शुरुआत करना बेहद
अच्छा माना जाता है।
5. ऐसी मान्यता है कि इस दिन किसी भी काम की
शुरुआत करने से उसमें सफलता जरूर मिलती है।
6. रावण दहन के बाद की थोड़ी राख को घर में रखना
काफी शुभ माना जाता है।