दीपावली दमदार भाषण
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नमस्ते दोस्तो आप का मेरे साइड पर स्वागत है, आप सभी को पता है, की हमेशा की भांति दीपावली पर भी निबंध,भाषण, कविता आदि लेकर आया हु ताकि आप कुछ मदद मिल सके, दोस्तो में आज आप के लिए लेकर आया हु दीपावली पर सबसे पहले 4 भाषण ये भाषण आप छोटी कक्षा के साथियों के लिए और दुसरे मेरे बड़े भाइयो को धयान में रखकर लिखे गए है,
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HappyDeepawali |
पहला भाषण 1
आदरणीय प्रधानाध्यापक, मेरे ज्ञान की गंगा बाहने वाली गुरुजनों, और मेरे हँसते मुस्कराते सहपाठियों मैं onlinestudy92.com आप के सामने दीपावली पर मेरे विचार प्रकट करना चाहता हु,
सर्वविदित है की,दीपावली हिन्दुओ का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, और इसे पुरे भारत वर्ष में हर्षोल्लास से मनाया जाता है, दीपावली हमेशा कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है,मानना ये है की आज ही के दिन भगवान श्रीराम चोदाह वर्ष का वनवास पूर्ण करके वापस अयोधिया लोटे थे,तो उस ख़ुशी में अयोधिया वासियों भगवान् श्रीराम,लक्ष्मण और सीता का घी के दीपक जलाकर स्वागत किया,उसी दिन को हम हमेशा दीपावली के रूप में मानते है,
इस त्यौहार पर किसानो के खरीब की फसल पकाकर तैयार हो जाती हे, तो किसान उस की ख़ुशी में दीपावली त्यौहार को मनाते है, इस पर सभी घरो की सफाई करते है, सेठ आपनी बहियों को दीपावली के पर नई बनते है सब और ख़ुशी का वातावरण हो जाता है, दीपावली के एक दिन पहले धनतेरस होती है इस दिन खरीददारी करना शुभ माना जाता है, दीपावली के दिन सब एक दुसरे के घर जाते है, इस दिन खूब पटाखे फोड़े जाते है,
परन्तु हमें सरकार के द्वारा वर्तमान में चलाये जा रहे आभियान “हरित दीपावली स्वस्थ दीपावली” को बढ़ावा देना चाहिए, क्योकि सभी को पता है,की पटाखे प्रदुषण फैलाते है जो सम्पूर्ण प्राणी मात्र को नुकसान पहुचाता है,
इन्ही शब्दों के साथ में मेरी वाणी को विराम देना चाहता हु
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दूसरा भाषण 2
आदरणीय प्रधानाध्यापक, सर, मैडम और मेरे प्यारे सहपाठियों को सुबह की नमस्ते|
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, आज हम यहाँ मै आप सभी के सामने दिवाली पर अपने कुछ भाव प्रकट करना चाहता हूँ-
दिवाली हिन्दुओ का प्रमुख त्यौहार है और इसे हम सभी बहुत ख़ुशी और उल्लास के साथ मनाते हैं, वही कुछ लोग इस दिन अपने घर दुकानों दफ्तरों की साफ़ सफाई करते हैं और उसको सजाते हैं तो कुछ लोग इस दिन नये कपडे पहन कर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के घर जाते हैं.
काफी लोग अपने ही घर में दिवाली की पार्टी भी देते हैं जहाँ सभी इकठे होकर नाच गाना करते हैं और मिठाई और अलग पकवान मिल बाट कर खाते हैं.
बच्चो के लिए यह दिन खास इसलिए होता है क्यूंकि इस दिन बच्चे नये वस्त्र पहनते हैं और पटाके फोड़ते हैं.
मुझे याद है कि पीछे वर्ष हमने न्यूज़ में देखा था की भारत में बहुत प्रदुषण हो रहा है, इसलिए मै सभी बच्चो को कहना चाहूँगा की दिवाली मतलब पटाखे जलाना नहीं होता, आप इस दिन नये कपडे पहने, मिठाई खाए, नाच-गाना करे और साथ ही में हर वो काम करे जो आपको अच्छा लगता है लेकिन आइए अंत में मेरे साथ कहिये – Say No To Burn Crackers this DiwALI
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तीसरा भाषण 3
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आदरणीय प्रधानाध्यापक, सर, मैडम और मेरे प्यारे सहपाठियों को सुबह की नमस्ते|
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, आज हम यहाँ मै आप सभी के सामने दिवाली पर अपने कुछ शब्द कहना चाहता हूँ-
दिपावली के दौरान लोग अपने घर और कार्यस्थली की साफ-सफाई और रंगाई-पुताई करते है। आमजन की ऐसी मान्यता है कि हर तरफ रोशनी और खुले खिड़की दरवाजों से देवी लक्ष्मी उनके लिये ढ़ेर सारा आशीर्वाद, सुख, संपत्ति और यश लेकर आएंगी.
इस त्योहार में लोग अपने घरों को सजाने के साथ रंगोली से अपने प्रियजनों का स्वागत करते है| नये कपड़ों, खुशबुदार पकवानों, मिठाईयों और पटाखों से पाँच दिन का ये उत्सव और चमकदार हो जाता है.
दिपावली के पहले दिन को धनतेरस या धनत्रेयोंदशीं कहते है जिसे माँ लक्ष्मी की पूजा के साथ मनाया जाता है| इसमें लोग देवी को खुश करने के लिये भक्ति गीत, आरती और मंत्र उच्चारण करते है.
दूसरे दिन को नारक चतुर्दशी या छोटी दिपावली कहते है जिसमें भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है क्योंकि इसी दिन कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था.
ऐसी धार्मिक धारणा है कि सुबह जल्दी तेल से स्नान कर देवी काली की पूजा करते है और उन्हें कुमकुम लगाते है|
तीसरा दिन मुख्य दिपावली का होता है जिसमें माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है, अपने मित्रों और परिवारजन में मिठाई और उपहार बाँटे जाते है साथ ही शाम को जमके आतिशबाजी की जाती है, जिससे बहुत प्रदुषण होता है और हमे यह नहीं करना चाहिए.
चौथा दिन गोवर्धन पूजा के लिये होता है जिसमें भगवान कृष्ण की अराधना की जाती है| लोग गायों के गोबर से अपनी दहलीज पर गोवर्धन बनाकर पूजा करते है.
ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उँगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर अचानक आयी वर्षा से गोकुल के लोगों को बारिश के देवता इन्द्र से बचाया था.
पाँचवें दिन को हमलोग यामा द्वीतिय या भैया दूज के नाम से जानते है। ये भाई-बहनों का त्योहार होता है.