लाल बहादुर शास्त्री जी की जीवनी
भारत को जय जवान – जय किसान का नारा देने वाले और साधारण जीवन जीने के लिए प्रसिद्ध लाल बहादुर शास्त्री हमारे देश के दूसरे प्रधानमंत्री रहे है. लाल बहादुर शास्त्री ने अपने प्रधानमंत्री काल में कई ऐसे अहम फैसले उठाये जिसके लिए उनको ख्याति प्राप्त हुई. लाल बहादुर शास्त्री ताशकंद में उस समय के पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिये दौरे पर गए हुए और यही ताशकंद में उनकी रहस्यमय तरीके से मौत हो गयी थी. शास्त्री जी को मरणोपरांत भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.

लाल बहादुर शास्त्री
पूरा नाम – लाल बहादुर शास्त्री
जन्म – 2 अक्टूबर 1904, मुगलसराय, उत्तर प्रदेश, भारत
मृत्यु – 11 जनवरी 1966, ताशकंद, रूस
पिता का नाम – मुंशी शारदा प्रसाद
माता का नाम – राम दुलारी देवी
शिक्षा – काशी विश्वविद्यालय से तत्वज्ञान और शास्त्री की मानद उपाधि
राजनैतिक पार्टी – काँग्रेस
विवाह – ललिता शास्त्री, 1928 में
पेशा – एक राजनेता और स्वतंत्रता सेनानी
पुरस्कार – भारत रत्न (मरणोपरांत)
फेमस स्लोगन – जय जवान, जय किसान
जन्म – 2 अक्टूबर 1904, मुगलसराय, उत्तर प्रदेश, भारत
मृत्यु – 11 जनवरी 1966, ताशकंद, रूस
पिता का नाम – मुंशी शारदा प्रसाद
माता का नाम – राम दुलारी देवी
शिक्षा – काशी विश्वविद्यालय से तत्वज्ञान और शास्त्री की मानद उपाधि
राजनैतिक पार्टी – काँग्रेस
विवाह – ललिता शास्त्री, 1928 में
पेशा – एक राजनेता और स्वतंत्रता सेनानी
पुरस्कार – भारत रत्न (मरणोपरांत)
फेमस स्लोगन – जय जवान, जय किसान
भारत की आजादी के कुछ समय बाद शास्त्री जी को युपी के संसदीय सचिव पद पर नियुक्त किया गया था. उस समय के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविन्द वल्लभ पन्त के मंत्रीमंडल में शास्त्री जी को पुलिस और परिवहन विभाग की जिम्मेदारी सौपीं गयी थी. शास्त्री जी ने अपने विभाग के समय पुलिस डिपार्टमेंट के लोगो से कहा था की लाठी का प्रयोग मत कीजिये और जनता की भीड़ को कण्ट्रोल करने के लिये पानी की बौछारों का प्रयोग शुरू करवाया.
सन 1951 के समय शास्त्री जी पंडित नेहरू के नेतृत्व में अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी के महासचिव बनाये गए थे. महासचिव के पद पर रहते हुए शास्त्री जी ने 1952, 57 और 1962 के चुनावों में पार्टी को भारी मतों से विजयी बनाया. इसी बीच पंडित नेहरू का 27 मई 1964 के समय मौत हो गयी थी तब शास्त्री जी को भारत का दूसरा प्रधानमंत्रीबनाया गया था.
9 जून 1964 को शास्त्री जी ने भारत के दुसरे प्राइम मिनिस्टर के रूप में शपथ ग्रहण किया. लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल के समय भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भारत के साथ सन 1965 में युद्ध किया था. उस समय भारत दो युद्धों से जूझ रहा था लेकिन पाकिस्तान ने कभी नहीं सोचा होगा की हमें ऐसी हार मिलेगी.
इसी बीच भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और उस समय के पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच रूस के ताशकंद में युद्ध की समाप्ति पर एक हस्ताक्षर होना था लेकिन हस्ताक्षर होने के बाद उसी रात शास्त्री जी की मौत की खबर आ गयी.
लाल बहादुर शास्त्री का शुरूआती जीवन :
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म सन 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था. इनके पिता का नाम मुंशी शारदा प्रसाद और माता का नाम रामदुलारी था. शास्त्री जी के पिता एक प्राथमिक स्कूल में शिक्षक के पद पर तैनात थे, उसके बाद इनके पिता ने राजस्व विभाग में लिपिक क्लर्क की नौकरी कर ली थी. अपने माता-पिता के सबसे छोटे बच्चे होने के कारण इन्हें प्यार से नन्हे कहकर पुकारते थे.
जब शास्त्री जी मात्र 18 महीने के थे तब इनके पिताजी की मौत हो गयी थीं. तब शास्त्री के माता अपने मायके चली गयी और अपने ननिहाल से ही शास्त्री जी ने अपनी स्कूल की शिक्षा प्राप्त की. उसके बाद शास्त्री जी ने काशी विद्यापीठ से शिक्षा प्राप्त की. काशी में ही शास्त्री जी को शास्त्री की मानद उपाधि मिली थीं. यही से लाल बहादुर शास्त्री ने अपने नाम के पीछे शास्त्री सर नेम लगा दिया था. शास्त्री जी की शादी 1928 में मिर्जापुर के निवासी गणेश प्रसाद की पुत्री ललिता शास्त्री के साथ हुई थी. इस शादी के 6 संताने हुई थीं जिसमे 2 बेटियां और 4 बेटे हुए.
शास्त्री जी राजनैतिक जीवन :
शास्त्री जी ने संस्कृत भाषा ने स्नातक किया था और अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद शास्त्री जी स्वंय सेवक संघ से जुड़ गये थे और यही से देश की एक सच्ची सेवा करने का वचन लिया था. अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत में शास्त्री एक सच्चे गाँधीवादी थे जिन्होंने अपना सारा जीवन सादगी के साथ बिताया था. शास्त्री एक समाजवादी और गरीबों की अक्सर सहायता करतें थे.
शास्त्री भारतीय स्वाधीनता संग्राम के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों और आंदोलनों में भागीदारी करते थे. शास्त्री जी ने सन 1921 में गाँधी के साथ मिलकर असहयोग आन्दोलन, 1930 में दांडी मार्च और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलनों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था. दुसरे विश्व युद्ध के समय इंग्लैंड को बुरी तरह उलझता देख कर उस समय नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिन्द फौज को एक नारा दिया था ” दिल्ली चलों ”. तब शास्त्री जी ने गाँधी जी के साथ 1942 की रात में ही मुंबई से अंग्रेजों भारत छोड़ो और करो और मरो का आदेश जारी किया था.
1942 के समय में शास्त्री जी ने इलाहाबाद पहुंचकर इस आन्दोलन के गांधीवादी नारे को चतुराई से मरो नहीं मारों में बदल दिया था. देखते ही देखते इस आन्दोलन ने भयंकर रूप धारण कर लिया था. 19 अगस्त 1942 को शास्त्री को गिरफ्तार कर लिया गया. 1929 के समय इलाहाबाद आने के बाद शास्त्री जी ने टंडन जी के साथ मिलकर स्वंय सेवक संघ के रूप में काम करना शुरू कर दिया था.
उस समय शास्त्री इलाहाबाद में रहते थे यही से शास्त्री और पंडित नेहरु के गहरी दोस्ती बढ़ी थी. नेहरू के समय शास्त्री जी मंत्रीमंडल में होम मिनिस्टर के पद पर तैनात थें और नेहरू जी के निधन के बाद शास्त्री जी भारत के दुसरे Prime Minister बनें थें.
शास्त्री का प्रधानमंत्री बनने का सफर :
शास्त्री जी एक सीधे-सादे व्यक्ति थे और उनकी छवि साफ थीं और इसी कारण से उनको 1964 में नेहरू जी के निधन के बाद भारत का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया गया. अगर देखा जाय तो उनका प्रधानमंत्री का कार्यकाल काफी मुश्किल भरा रहा था. उस समय पूंजीपति लोग देश में शासन करना चाहते थे और दुश्मन देश पर हमले की तैयारी में थे. सन 1965 के समय में पाकिस्तान ने भारत पर शाम के समय हमले करना शुरूं कर दिया था. तब राष्ट्रपति ने आपात बैठक बुलाई थीं. इस बैठक में भारत के तीनो अंगो के अफसर मौजूद थे.
तब शास्त्री जी ने देश के तीनो अंगो को साफ- साफ कहा था की अब समय आ गया है आप अपने देश की रक्षा कीजिये. युद्ध में पाकिस्तान की हार हुई थी तब भारतीय सेना पाकिस्तान के लाहौर हवाई अड्डे तक पहुँच गयी थीं लेकिन रूस और अमेरिका ने शास्त्री जी को युद्ध विराम करने और उन्हें रूस भी बुलाया था. यहाँ भारत के उस समय के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान दोनों नेता रूस गये थे और युद्ध विराम के समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही समय बाद शास्त्री जी ताशकंद में मृत पाये गये थे.
नेहरू के मुकाबले शास्त्री जी ने देश को एक अलग पहचान दिलाई लेकिन शास्त्री ने मात्र 18 महीनों का थोड़ा सा कार्यकाल किया था, जिसके बाद उनकी रहस्यमय तरीके से मौत हो गयी थी. शास्त्री ने एक नारा दिया था ”’ जय जवान – जय किसान ” इस नारे से देश की जनता का मनोबल बढ़ा और सभी एकजुट में दिखे थे. शास्त्री जी का आज भी पूरा देश उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये उन्हें हर साल जन्म दिवस पर याद करता हैं. शास्त्री जी को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.
शास्त्री जी मौत और रहस्य
भारत के दुसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत रूस के ताशकंद शहर में हुई थी. एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटे के बाद शास्त्री जी की अचानक रहस्यमय तरीके से मौत हो गयी थीं. उनका पार्थिव शरीर को भारत लाया गया और दिल्ली के यमुना नदी के तट पर अंतिम संस्कार किया गया और इस स्थल को विजय घाट दिया गया.
उनकी मौत के बाद कुछ समय तक गुलजारी लाल नंदा को कार्यकारी प्रधानमंत्री बनाया गया था, उसके बाद इंदिरा गाँधी को बाद में भारत का प्रधानमंत्री बनाया गया था. शास्त्री जी की मौत हार्ट अटैक से हुई या किसी दुसरे कारण से यह रूस के डॉक्टर, खुफिया एंजेसी और भारत के खुफिया एंजेंसी को समझ नहीं आ पाया. सन 1966 से वर्तमान तक शास्त्री जी की मौत एक रहस्य ही बना हुआ है
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