राजस्थान के दुर्ग Nots PDF | Rajasthan ke durg | राजस्थान के प्रमुख किले | राजस्थान के दुर्ग महत्वपूर्ण प्रश्न | Rajasthan ke durg in hindi pdf
राजस्थान के दुर्ग
दुर्गो के प्रकार
गिरी दुर्ग
वह दुर्ग को उच्च पर्वत पर स्थित हो
तथा चारो और से पाहड़ीयो से घिरा हो उसे गिरी
दुर्ग कहते है|
उदाहरण:- चितोड़ का किला,कुम्भलगढ़ का किला,जालोर का किला,सोजत का किला, मेहरानगढ का किला आदि इसके उदाहरण है
जल दुर्ग
वह दुर्ग जो चारो और से जल से घिरा हो उसे जल दुर्ग कहते है|
उदहारण:- गागरोन दुर्ग (झालावाड़ा) शेरगढ़
दुर्ग (बांरा)
चितोड़ का दुर्ग महत्वपूर्ण प्रशन
रानी पद्मनी, राजमाता कर्मावती,वीर गोरा बादल,जयमल और कल्ला राठोड व पत्ता
सिसोदिया के अपूर्व पराक्रम और बलिदान का पावन स्थान चितोड़ का किला इतिहास में
अपना कोई मुकाबला नहीं रखता है| इसी कारण यह सब किलो का सिरमोर माना जाता है| “गढ़
तो चितोड़गढ़ बाकि सब गढ़ैया” (कहावत)
इसका निर्माण:- मेवाड़ के इतिहास प्रसिद्ध ग्रन्थ विराविनोद के अनुसार मोर्य राजा
चित्रंग( चित्रंगत) ने यह किला बनाकर अपने नाम पर इसका नाम “चित्रकोट” रखा
था| उसी का अप्भ्रस वर्तमान चितोड़ है|
मेवाड़ में गुहिल राजवंश के संस्थापक बाप्पा रावल ने अंतिम मोर्य शासक को
पराजित कर आठवीं शताब्दी ई.के लगभग चितोड़
दुर्ग पर आक्रमण किया
चितोड़ के दुर्ग के लिए जितने युद्ध लड़े गए है| उतने शायद ही किसी अन्य किले की
लिए लड़े गये हो| यधपि इस पर अधिकाशत: मेवाड़ के गुहिल वंश का आधिपत्य रहा
तथापि विभिन्न कालों में यह किला मोरी(परमार),
प्रतिहार,परमार,सोलंकी, खिलजी,सोनगरे चोहान और मुग़ल शासको के भी अधीन रहा|
महाराणा कुम्भा ने किले के प्रवेश द्वार( रामपोल, हनुमानपोल,भेरवपोल,महालक्ष्मीपोल, चामुंडापोल,तारपोल,और राजपोल,) बनवाये उसने वहां
आदिवराह का मन्दिर, जलयन्त्र के अलावा कई तलब और बावडिया भी बनाये|
पाइन पोल
यह दुर्ग का प्रथम प्रवेश द्वार है| कहाँ जाता है की एक बार भीषण युद्ध में खून
की नदी बह निकलने से एक पाडा(भैसा) बहता-बहता यहाँ तक आ गया था| इसी कारण इस द्वार
को पाडन पोल कहाँ जाता है|
भैरव पोल
पाइन पोल से थोड़ा उत्तर की तरफ चलने पर दूसरा दरवाजा आता है, जिसे भैरव पोल के
रूप में जाना जाता है| इसका नाम देसरी के सोलंकी
भैरोदास के नाम पर रखा गया है| जो सन 1534 में गुजरात के सुल्तान बहादुर
शाह से युद्ध में मारे गये थे|
हनुमान पोल
दुर्ग के तीसरे प्रवेश द्वार को हनुमान पोल के नाम से जाना जाता है| क्योकि
पास ही हनुमान जी का मन्दिर है
गणेश पोल
हनुमान पोल से कुछ आगे बढ़कर दक्षिण की ओर मुड़ने पर गणेश पोल आता है| जो दुर्ग
का चोथा प्रवेश द्वार है|
जोडला पोल
यह दुर्ग का पांचवा दरवाजा है और छठे दरवाजे के बिल्कुल पास होने के कारण इसे
जोडला पोल कहाँ जाता है|
लक्ष्मण पोल
दुर्ग के इस छठे दरवाजे के पास ही छोटा सा लक्ष्मण जी का मंदिर है जिसके कारण
इसका नाम लक्ष्मण पोल है
राम पोल
लक्ष्मण पोल से आगे बढ़ने पर एक पश्चिमाभिमुख प्रवेश द्वार मिलता है, जिससे
होकर किले के अंदर प्रवेश कर सकते है| यह दरवाजा किला का सातवाँ तथा अंतिम दरवाज
है|
इसके निकट ही महाराणाओं के पूर्वज माने जाने वाले सूर्यवंशी भगवन श्री
रामचन्द्रजी का मन्दिर है|
विजय स्तंभ
मन्दिर है| महाराणा कुम्भा द्वारा निर्मित विजय स्तंभ चितोड़गढ़ किले का सबसे प्रमुख
आकर्षक है जो अपने शिल्प और स्थापत्य की द्रष्टि से अनूठा है| नो खंडो वाला यह
कीर्ति स्तंभ लगभग 120फीट ऊँचा है|
महाराणा कुम्भा ने मांडू के सुल्लातन
महमूद खिलजी पर अपनी विजय के उपलक्ष मेंइसका निर्माण प्रारम्भ करवाया जिसकी
प्रतिष्ठा वि. संवत 1505 में हुई|
किले के भीतर अथाह जलराशि वाले अनेक
कुण्ड और जलाशय है यथा रत्नेश्वर तालाब, कुम्भा सागर तालाब गोमुख
झरना,हाथीकुण्ड, भीमलत तालाब,झालिबाव एवं चित्रांग मोर्य का तालाब|
कुम्भलगढ़ दुर्ग महत्वपूर्ण प्रशन
मेवाड़ के इतिहास ग्रन्थ कविराज श्यमालाल
‘वीर विनोद’ के अनुसार महाराणा कुम्भा ने 1448 ई. में कुम्भलगढ़ या कुम्भलमेरु
दुर्ग की नीव रखी|
मेवाड़ जे यशस्वी शासक महाराणा कुम्भा
की उन्ही के द्वारा निर्मित कुम्भलगढ़ दुर्ग में उनके ज्येष्ट पुत्र राजकुमार
उदा द्वारा धोखे से पीछी सेवार कर हत्या कर दी गई| पितृघाती उदा को सामंतो ने
शिकार के बहाने कुम्भलगढ़ से बहार भेज दिया तथा रायमल महाराणा बना
इसके प्रसंग में ये दोहा प्रसिद्ध है
ऊदा बाप न मराजे,लिखियो लाभे राज |
देस बसायो रायमल, सरयो न एको काज||
- महाराणा कुंभा 1448 के बीच में निर्माणकरवाया था
- कुंभलगढ़ वर्तमान में राजसमंद जिले में स्थित है
- कुंभलगढ़ के किले को अपने मारवाड़ का सीमा प्रहरी भी कहते हैं
- अत्यधिक ऊंचाई पर बना होने के कारण अबुल फजल ने कहा था कि इस किले को नीचे से ऊपर की ओर देखने पर पगड़ी गिर जाती है
- कुंभलगढ़ के शीर्ष में कटारगढ़ बना हुआ है जो कुम्भा का निजी आवास था इसे को मेवाड़ की आंख ही कहते हैं
- कुंभलगढ़ किले में उदा ने कुंभा की हत्या की थी
- कुंभलगढ़ किले में झाली रानी का मालिया बना हुआ है
- कुंभलगढ़ की दीवार की लंबाई 36 किलोमीटर है दीवार की चौड़ाई कितनी है कि 8 घोड़े समांतर दौड़ सकते हैं
- कुंभलगढ़ किले में कुंभा स्वामी का मंदिर बना हुआ
जयगढ़ किला महत्वपूर्ण प्रशन
- जयगढ़ किला जयपुर में स्थित
- जयगढ़ किले का निर्माण कोकिल देव ने करवाया था
- इस किले के उपनाम
- आमेर की ओर जाता हुआ किला
- रहस्यमय दुर्ग
- जयगढ़ किले के 3 प्रवेश द्वार
- जयगढ़ किले में एशिया की सबसे बड़ी तोप जयबाण/रणबंका स्थित है
- जयगढ़ किले में कठपुतली घर है
- जयबाण तोप का एक बार प्रयोग किया गया और उसी से गोलेलाव तालाब का निर्माण हुआ
- जयगढ़ किले में विजयगढ़ी महल स्थित है,
- जयगढ़ किले में राजस्थान का सबसे बड़ा टाका स्थित है
आमेर का किला महत्वपूर्ण प्रशन
- आमेर का किला जयपुर में स्थित है
- आमेर का किला कालीखोह पहाड़ी पर स्थित है
- 1707 में बहादुर शाह प्रथम ने इसका नाम मोमीनाबाद रखा
- इस ग्रुप के स्थापत्य में हिंदू मुस्लिम शैली का मिश्रण है
- आमेर किले में दीवाने आम दीवाने खास चारबाग सुख मंदिर जस मंदिर सीताराम जी का मंदिर भूल भुलैया अंबिकेश्वर महादेव मंदिर कदमी महल आदि स्थित है
- फर्ग्यूसन ने गणेश पोल को दुनिया का सबसे सुंदर दरवाजा का
- आमेर दुर्ग में सर्वाधिक विदेशी पर्यटक आते हैं
- मानसिंह प्रथम की रानी कनकावती ने इस किले में जगत शिरोमणि मंदिर का निर्माण करवाया
- जगत शिरोमणि मंदिर में भगवान कृष्ण की वह मूर्ति हैं जिनकी पूजा मीराबाई बचपन में करती थी
- जगत शिरोमणि मंदिर को मीरा मंदिर भी कहते हैं
- इस किले के 5 दरवाजे हैं
चौमू दुर्ग महत्वपूर्ण प्रशन
- यह किला जयपुर में स्थित है
- यह किला स्थल दुर्ग की श्रेणी में आता है
- इस किले का निर्माण करण सिंह ने प्रारंभ कराया पूर्ण रघुनाथ ने करवाया
- इस किले के पश्चिमी दरवाजे को ध्रुव पोल व पूर्वी दरवाजे को गणेश पोल कहते हैं
- इस किले को रघुनाथगढ़ धाराधारगढ़ भी कहते हैं
नाहरगढ़/ सुदर्शन गढ़ महत्वपूर्ण प्रशन
- नाहरगढ़ जयपुर में स्थित है
- नाहरगढ़ को मेलो का दुर्ग वह मीठड़ी का दुर्ग भी कहते हैं
- नाहरगढ़ का निर्माण 1734 में सवाईजयसिंह ने मराठों से जयपुर की रक्षा हेतु करवाया
- नाहरगढ़ किले में भगवान कृष्ण का मंदिर होने के कारण सुदर्शनगढ भी कहते हैं
- नाहरगढ़ किले के अधिकांश महलों का निर्माण माधो सिंह व रामसिंह द्वितीय ने करवाया
- माधो सिंह ने अपनी 9 पासवान के लिए 9 महलों का निर्माण करवाया
- नाहरगढ़ को जयपुर का मुकुट जयपुर की ओर झांकता दुर्ग भी कहते हैं
तारागढ़/ अजमेर दुर्ग महत्वपूर्ण प्रशन
- तारागढ़ दुर्ग अजमेर में स्थित
- इसका निर्माण 683 अजय पाल ने करवाया था
- इस ग्रुप का पुनर्निर्माण पृथ्वीराज सिसोदिया ने करवाया था जिन्हें उड़ना राजकुमार भी कहते हैं
- पृथ्वीराज सिसोदिया ने इनका निर्माण करवा के अपनी पत्नी ताराबाई के नाम पर तारागढ़ नाम रखा
- तारागढ़ दुर्ग गढ़ बिठली पहाड़ी पर स्थित है इसलिए इसे गढ़ बिठली दुर्ग भी कहते हैं
- राजस्थान को जीतने से पहले तारागढ़ दुर्ग को जीतना जरूरी था इसलिए इसको दुर्ग राजपूताने की कुंजी भी कहते हैं
- तारागढ़ दुर्ग राजस्थान के मध्य में स्थित होने के कारण से राजस्थान का हृदय भी कहते हैं
- तारागढ़ दुर्ग अरावली पर्वतमाला के मध्य होने के कारण इसे अरावली का अरमान भी कहते हैं
- विशप हेबर ने राजस्थान का जिब्राल्टर कहाँ है
- तारागढ़ दुर्ग पर सर्वाधिक स्थानीय आक्रमण हुए
- तारागढ़ दुर्ग में नाना साहब का झालरा गोल झालरा इब्राहिम का झालरा बड़ा झालरा आदि जलाशय हैं
- तारागढ़ दुर्ग में दारा शिकोह का जन्म हुआ था इसलिए इसे शिया मुसलमानों का तीर्थ स्थान भी मानते हैं
- तारागढ़ दुर्ग में घोड़े की मजार स्थित है जिसे चने की दाल चढ़ती है
- मारवाड़ के राजा महादेव से रूठ कर रूठी रानी उमादे यहां पर अपना जीवन व्यतीत किया
- तारागढ़ किले में मीरान साहब की दरगाह स्थित है
- तारागढ़ दुर्ग में 14 बुर्ज स्थित है
टॉडगढ़ दुर्ग महत्वपूर्ण प्रशन
- यह दुर्ग अजमेर में स्थित है
- इस दुर्ग का प्राचीन नाम बोरासवाड़ा है
- इस दुर्ग का निर्माण कर्नल जेम्स टॉड ने करवाया था
- इस दुर्ग में विजय सिंह पथिक गोपाल सिंह खेरवा को बंदी बनाया गया था जहां से यह दोनों फरार हो गए थे
मैगजीन दुर्ग महत्वपूर्ण प्रशन
- इस दुर्ग का निर्माण 1570 में अकबर ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के सम्मान के लिए बनाया था
- इस दुर्ग की नीव दादू दयाल ने रखी थी
- इस दुर्ग को अकबर का दौलत खाना या अकबर का किला भी कहते हैं
- इस दुर्ग को 1857 क्रांति का केंद्र कहा जाता है
- हल्दीघाटी युद्ध की योजना इसी किले में बनाई गई थी
- इस दुर्ग का पुनर्निर्माण 1905 में लॉर्ड कर्जन ने करवाया था
- इस दुर्गका मुख्य दरवाजा जाहाँगीरी दरवाजा कहलाता है
- इसी किले में बादशाही भवन स्थित है
- उन्नीस सौ आठ में इस किले में राजस्थान संग्रहालय की स्थापना की गई जिन के प्रथम अध्यक्ष हीरानंद ओझा थे
किशनगढ़ किला महत्वपूर्ण प्रशन
- किशनगढ़ किला अजमेर में स्थित है
- इस दुर्ग में वल्लभ संप्रदाय के श्री नाथ जी का मंदिर है
सम्पूर्ण जानकारी समस्त किलो की जल्द अपलोड कर दी जाएगी
Result
ReplyDeleteResult kaisa check Kara
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